अन्धां कानून

हमारे देश में आज जो कुछ भी हो रहा है उसको क्या नाम दिया जाए मेरे हिसाब से तो अन्धां कानून सही रहेगा क्योकिं आज हो ही एसा रहा है।
आज के नेता देशवासियों को अंधा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं आज के नेता कुरसी पर बैठकर हम 
आम जनता की जरूरत को पूरा करने का दावा करते हैं 

हमारे देश की पुलिस जो हमारे रक्षक माने जाते हैं वही भक्षक बनें हैं उन से कुछ उम्मीद रखना सपने देखने के बराबर है वो नेता जो चुनाव के दौरान सबके सामने हाथ जोड़ कर विनती करते हैं जनता को बहला फुसला कर  उन से वोट मांगने की अपील करते हैं।

वही वोट पाकर जीत जाते हैं उसके बाद सालों तक कहीं नजर नहीं आते और गलती से सामने आ भी गये तो जनता को एसा दिखाते हैं कि कभी ये आज तक जनता से मिले ही ना हो। 

हमारे देश की सरकार हो या फिर कोई नेता किसी के मरने के बाद उस पर सियासत करने से नहीं चूकती मरने वाला तो मर जाता है पर उसके नाम पर दुनिया भर में उसके लिए इंसाफ दिलाने के नाम पे खुले आम राजनीति होती हैं।

ये इस देश का कौन-सा न्याय हैं जो किसी का दर्द बांटने के बजाय उस परिवार को इंसाफ दिलाने के बजाय उस पर राजनीति होती है,नेता लोग बडी बडी बातें करते हैं सरकार मुवावजा देने की बात करती हैं,पर जिसके साथ नाइंसाफ़ी हुई उसका दर्द कोई नहीं समझता।

कहने को तो हम कहते हैं कि हमारा भारत महान पर अफसोस इस बात का है कि जिस देश के नेता ही भरष्टाचार, आतंकवाद, जातिवाद, हिंसा, दंगा करने में सबसे आगे हो,लाखों करोड़ों के घोटाले में सबसे आगे हो, उस देश के नेता और मंत्रीयों से क्या उम्मीद की जा सकती है। 

सिर्फ कहने से हमारा देश महान नहीं बनेगा  इसके लिए हम सब को मिल कर बुराईयों को खत्म करना होगा, चुनाव में उसको ही जितना होगा जो सत्ता को सभांल सके,देश को आगे ले जा सकें, देश का आने वाले भविष्य के बारे मे सोच सकें। 

हमारे दे
श में बहुत से कानून लागू हैं पर मुझे अफसोस इस बात का है कि जिस देश कि जनता खुद को महफ़ूज नहीं समझती, लङकीयां महिलाएं जिनको आजादी से जिने का पूरा हक है।  

उन से भी उनका हक छिना जाता है  आये दिन सुनने को मिलता है किसी लङकी के साथ दुर्व्यवहार हो गया किसी को दहेज के लिए मार दिया बहुत सारे ऐसे कांड सुनने मिलते हैं जिनके बारे में सोच के भी डर लगता है। 

किसने दिया इनको अधिकार औरतों पर अत्याचार करने का इसके लिए भी हमारे देश की सरकार जिम्मेदार हैं क्योंकी अगर इस देश की कानून व्यवस्था सही होती तो शायद जो आज समाज में कुरीतियां फैली है, उन पर नियंत्रण होता और अपराध कम होते।


अपराध करने वाले को उसी वक्त मोत की  सजा सुनाई जाती पर अफसोस इस देश का कानून ये इजाजत ही नहीं देता इस देश के अपराधीयों को महफ़ूज रखा जाता है उनको उनकी मर्जी से रहने दिया जाता है। 

क़ैद में रहकर भी वह आम आदमी के जैसे जिते है, इस लिए तो हमारे देश का अन्धां कानून है ,जहां दोषी को निर्दोष माना जाता है, और निर्दोष को दोषी ठहराया जाता हैं।
यही है हमारे देश की सच्चाई, जानते तो सब है पर कोई कुछ कर नहीं सकते। 
 
 

 


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